BA Semester-2 Raksha Evam Stratejic Studies - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2722
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 2
झेलम संग्राम - 326 ई.पू.
(Battle of Hydaspes - 326 B.C.).

प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. झेलम के संग्राम (326 ई. पू.) में पोरस की पराजय के प्रमुख कारणों की विवचेना
कीजिए।
2. झेलम के संग्राम का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।

उत्तर -

झेलम का संग्राम - 326 ई. पू.

पृष्ठिभूमि - झेलम का संग्राम 326 ई. पू. में यूनान के शासक सिकन्दर महान तथा भारतीय पोरस के मध्य झेलम नदी के तट पर हुआ था। यह युद्ध सिकन्दर ने अपनी विश्व विजय की आकांक्षा को पूरा करने के लिए लड़ना पड़ा था क्योंकि भारत की सीमा में दाखिल होते ही उसे भारत के एक शक्तिशाली राजा पुरु का सामना करना पड़ा। इस युद्ध में सिकन्दर विजयी हुआ था परन्तु इस युद्ध में सिकन्दर को भारी क्षति उठानी पड़ी थी। जिस कारण सिकन्दर की सेना का मनोबल टूट गया था।

तुलनात्मक सैन्य शक्ति -

1. पोरस की सैन्य शक्ति

(i) अश्वारोही - 40,000
(ii) रथ 300
(iii) हाथी -200
(iv) पैदल 30,000

यूनानी लेखकों के अनुसार
(i) पैदल सेना 50,000
(ii) अश्वारोही 3,000
(iii) रथ सेना 1,300
(iv) हाथी 130

2. सिकन्दर की सैन्य शक्ति

सिकन्दर की सेना में लगभग 30,000 सैनिक थे। 'सर डब्लू.डान के अनुसार सिकन्दर की सेना में अश्वारोही सैनिकों की संख्या लगभग 53,000 तथा पैदल सैनिकों की संख्या लगभग 15,000 थी। सिकन्दर ने केवल 6,000 सैनिकों के साथ पुरु का सामना किया था।

तुलनात्मक सैन्य संगठन पोरस ने अपनी सेना का संगठन 'चतुरंग बल के आधार पर किया था। पोरस की सेना में सबसे आगे मध्य में हाथियों की सेना थी तथा आगे ही दांये तथा बांये पार्श्व पर रथ सेना तथा रथ सेना के पीछे घुड़सवार सेना और गज सेना के पीछे मध्य में पैदल सेना थी।

सिकन्दर की सेना का संगठन फ्लैंक्सनुमा था, जिसमें पैदल सैनिकों की संख्या अश्वरोही सैनिकों के लगभग बराबर थी। सिकन्दर के सैनिक कवच तथा ढाल धारण किये थे। एक पंक्ति में 16 सैनिक खड़े किये जाते थे। आक्रमण के समय पूरा फैलैक्स (Phalanx) एक दीवार की भाँति आगे बढता चला जाता था। घुड़सवार सेना का नेतृत्व सिकन्दर ने स्वयं किया था। इसके पीछे अश्वारोहियों का एक. और दल जोकि विष्टि विभाग कहलाता था अपने साथ साज-सामान लेकर चलता था।

सिकन्दर की यौद्धिक संक्रिया तथा नदी पार करना उन दिनों झेलम नदी में बाढ़ आई हुई थी, अतः झेलम नदी को पार करना आसान काम नहीं था। सिकन्दर का इरादा झेलम नदी को पार कर पोरस को पराजित करने का था। इस उद्देश्य से कि पोरस को उसके झेलम पार कर लेने और आक्रमण करने का पहले से पता न चले, सिकन्दर ने यह घोषणा कर दी कि उसका आक्रमण करने का अभी कोई इरादा नहीं है। सिकन्दर की इस घोषणा से पोरस ने अपनी सेना की चौकसी ढीली कर दी।

सिकन्दर को 17 मील ऊपर की ओर एक ऐसे स्थान का पता चला जहाँ एक ओर नदी झेलम में गिरती थी और जहाँ झेलम नदी के मध्य में एक द्वीप था जो घने जंगल से ढका था। इधर से नदी पार करना आसान भी था तथा छिपाव भी मिल जा रहा था। अतः सिकन्दर को आक्रमण करने का उपयुक्त स्थान मिल गया था।

सिकन्दर ने अपनी सेना को तीन भागों में बांटा। सेना का एक बहुत बड़ा भाग अपने सेनापति क्रेटिरस (Craterus) के नेतृत्व में पड़ाव वाले स्थान पर रहने दिया तथा इस भाग के निम्नलिखत आदेश दिये है।

(i) पड़ाव पर रहते हुए पोरस की सेना को यह दर्शाना कि सिकन्दर की समस्त सेना यही पर

(ii) अगले दिन जब पोरस सिकन्दर से लड़ने के लिए हाथियों को हटाये तो झेलम नदी पार करके पोरस की सेना पर पीछे से आक्रमण कर देना।

सिकन्दर ने अपनी सेना के दूसरे भाग को अत्तालस, मैलीगर तथा जार जियास (Attalus, Meleager and Gorgias) के सेनापतित्व में नदी पार करने वाले स्थान से कुछ नीचे की ओर तैनात करके यह आदेश दिया कि सिकन्दर के नदी पार करने के बाद आक्रमण के समय नदी पार कर सिकन्दर की सेना से जा मिले।

सेना के तीसरे भाग को सिकन्दर के नेतृत्व में नदी पार करना था। जिस रात को इस सेना ने नदी पार की उसी रात को बड़ा तूफान सा चल रहा था, जिसके कारण घोड़ों व सैनिकों के नदी पार करने की आवाज भी सुनाई न पड़ सकती थी। उसी रात सिकन्दर की सैन्य टुकड़ियों ने नदी पार कर ली।

युद्ध का प्रारम्भ - नदी पार करने के बाद सिकन्दर ने शत्रु की संख्या का पता लगाने के लिए अपने हल्के अश्वारोही आगे भेजे। आगे पोरस के बेटे के नेतृत्व में सेना की एक छोटी सी टुकड़ी थी। सिकन्दर को जैसे ही पता चला कि यह सेना संख्या में काफी कम है तथा पोरस की मुख्य सेना से अलग है, वह पूरे वेग के साथ राजकुमार की सैन्य टुकड़ी पर टूट पड़ा। वर्षा के कारण कीचड़ व फिसलन हो गई थी जिसके कारण रथों को तेजी से इधर-उधर घुमाना व मोड़ना कठिन था। फलस्वरूप राजकुमार, 400 सैनिकों के साथ धराशायी हो गया और सिकन्दर ने 120 रथों पर अधिकार कर लिया।

सिकन्दर तथा पुरु का संघर्ष - अपने पुत्र की मृत्यु तथा 400 सैनिकों के हताहत होने का समाचार सुनकर पुरु आश्चर्यचकित रह गया किन्तु उसने धैर्य नहीं छोड़ा और अपने कुछ सैनिकों को शिविर पर छोड़कर वह 5,000 पैदल तथा 3,000 घुड़सवार, 1,000 रथ और 130 हाथियों सहित सिकन्दर का मुकाबला करने के लिए चल पड़ा। कुछ ही देर में दोनों सेनाओं की मुठभेड़ हो गई। सिकन्दर ने पोरस की व्यूह रचना को देखा। वह जानता था कि उसके घोड़े पोरस के हाथियों के सम्मुख नहीं लड़ सकेंगे। अतः उसने पोरस की सेना पर चौतरफा हमला करने की रणनीति अपनाई।

 

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सिकन्दर की आक्रमण योजना - सिकन्दर की आक्रमण योजना इस प्रकार थी

1. पुरु की अश्वारोही सेना तथा रथ सेना को बर्बाद करना।

2. सिकन्दर की सेना पुरु की मुख्य सेना पर तिरछा (oblique) आक्रमण करे।

3. सिकन्दर की सेना का एक भाग जो कोयनस के नेतृत्व में था पुरु की सेना पर पीछे से आक्रमण कर दे।

4. भागते सैनिकों को अन्त तक पीछा करके उन्हें खत्म कर देना।

घमासान युद्ध का प्रारम्भ - सिकन्दर ने पोरस के बायें पार्श्व पर बड़ा तीव्र प्रहार किया। सिकन्दर की आशानुसार पोरस ने दाहिने पार्श्व की अश्वारोही सेना बांयें पार्श्व पर भेजना आरम्भ कर दी। जैसे ही यह सेना दाहिनी ओर से हटी कोयनस ने पीछे से आक्रमण कर दिया। सिकन्दर के पैदल सैनिकों के भालों से पोरस के हाथी सवार योद्धा मारे गये जिससे हाथियों पर से नियंत्रण समाप्त हो गया और हाथी. अपनी ही सेना को रौंदने लगे। इसी तरह वर्षा के कारण मिट्टी गीली हो गई तथा पुरु की रथ सेना के पहिये मिट्टी में धंस गये और रथ बेकार हो गये।

प्लूटार्क के शब्दों में, "अद्भुत वीरता के साथ लड़ते हुए भारतीयों ने दिन की आठवीं घड़ी तक सिकन्दर की सेना को इन्च भर आगे नहीं बढ़ने दिया। परन्तु पुरु को प्राकृतिक आपदा का सामना करना पड़ा। युद्ध के दिन घनघोर वर्षा के कारण रथ बेकार हो गये। दलदली भूमि में रथ के पहिये धंस गये तथा घोड़े उन्हें खींचने में असमर्थ रहे। पोरस की सेना में भगदड़ मच गई तथ पुरु के सैनिक इधर-उधर भागने लगे। बांयें पार्श्व की सेना को निर्बल देखकर पुरु ने बांयीं ओर की सेना को कम करके दांयी ओर लगा दिया। इस अवसर पर सिकन्दर ने पीछे से आक्रमण कर दिया। इस आक्रमण से भारतीय सेना भयभीत हो उठी। वह भागने लगी। इसी समय केट्स की सेना नदी पार करके भगोड़ों को मारने लगी। भारतीय सेना के अधिकांश हाथी तथा पैदल सैनिक हताहत हो गये।

इस प्रकार पोरस को पराजय का सामना करना पड़ा। पुरु को बन्दी बना लिया गया वह बहुत जख्मी हो चुका था। जब पोरस को सिकन्दर के समाने उपस्थित किया गया तो सिकन्दर ने अपने विश्वप्रसिद्ध वाक्य कहे "आपके साथ कैसा व्यवहार किया जाये?" इस प्रश्न के उत्तर में पोरस ने बड़ी निर्भिकता से उत्तर दिया "वैसा ही व्यवहार जैसाकि एक राजा शत्रु राजा के साथ करता हैं। पोरस के इस उत्तर से सिकन्दर इतना प्रभावित हुआ कि उसने पुरु का जीता हुआ राज्य पुरु को वापस कर दिया और इस तरह उसने एक राजनीतिक चाल चली और पुरु से मित्रता कर ली.

तुलनात्मक क्षति - कहते हैं कि इस लड़ाई में पोरस के 20,000 पैदल सैनिक तथा 3,000 अश्वारोही सैनिक और बहुत से हाथी हताहत हुए। सिकन्दर की सेना के 700 पैदल सैनिक तथा 200 अश्ववरोही मारे गये।

एरियन के अनुसार - भारतीय पक्ष के कुल 23,000 सैनिकों की मृत्यु हुई तथा 9,000 बन्दी बनाये गये।

सिकन्दर पक्ष के 280 घुड़सवार मारे गये तथा 700 पैदल सैनिक मारे गये।

प्लूटार्क के अनुसार "पोरस से हुए युद्ध में यूनानियों का साहस खत्म हो गया तथ उन्हें आगे बढने पर विवश कर दिया।"

सिकन्दर की सफलता तथा पुरु की पराजय के कारण - इस युद्ध में सिकन्दर की विजय तथा पुरु की पराजय के निम्नलिखित कारण थे-

1. सिकन्दर की अश्वारोही सैनिक शक्ति पोरस की अपेक्षा अधिक थी। उसके अरब व काबुल के घोड़े भारतीय घोड़ों से बहुत अच्छे थे।

2. सिकन्दर के सैनिकों के पास भाले थे तथा ऐसे निपुण तीरन्दाज थे जो घोड़े पर चलते तेजी से बाण चला सकते थे। पोरस की सेना का मुख्य हथियार बड़े और भारी धनुष थे जिनको भूमि पर टिका कर प्रयोग किया जाता था। दलदली भूमि में पुरु के यह धनुष बेकार हो गये थे।

3. पोरस की सेना में गतिशीलता की कमी थी। अधिक वर्षा के कारण रथ के पहिये जमीन में धंस गये थे जिस कारण रथों का प्रयोग नहीं हो सका।

4. सिकन्दर की सेना लड़ाई में बहुत कुशल थी। पोरस ने सिकन्दर जैसे योद्धा से पहले युद्ध नहीं किया था अतः यह उसका पहला अनुभव था।

5. सिकन्दर ने युद्ध में कूटनीतिक चाल अपनाई थी तथा पोरस की आंखों में धूल झोंककर उस पर अचानक हमला कर दिया था। अचानक चौतरफा हमले से पोरस की सेना अस्त-व्यस्त हो गई थी।

निष्कर्ष - झेलम के संग्राम का विश्लेषण करने से पता चलता है कि इस सैन्य संख्या का महत्व नहीं था अपितु कुशल सैन्य संचालन के द्वारा युद्ध को जीता गया था। भारतीय सैनिकों ने बड़ी वीरता दिखाई थी तथा पोरस की सैन्य संरचना भी अति उत्तम थी परन्तु भाग्य की देवी ने पोरस का साथ नहीं दिया। इसीलिए पोरस को हार का सामना करना पड़ा था। सिकन्दर ने भी अन्त में उसका राज्स वापस करके अपनी महानता का परिचय दिया था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  5. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  6. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
  9. प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
  10. प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
  11. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  12. प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
  14. प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  16. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  18. प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
  19. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  24. प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
  25. प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
  29. प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
  30. प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
  31. प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  32. प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
  33. प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
  34. प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
  37. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
  38. प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
  39. प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
  40. प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
  43. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
  44. प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  45. प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
  46. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  47. प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
  50. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  53. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
  55. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
  59. प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
  60. प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
  62. प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  64. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
  67. प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
  68. प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
  69. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
  71. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  72. प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  74. प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
  76. प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
  81. प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
  85. प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
  89. प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
  92. प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
  95. प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  97. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
  99. प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
  100. प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
  101. प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  107. प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
  108. प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
  109. प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  111. प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  112. प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
  114. प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
  115. प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
  116. प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
  118. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  119. प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
  120. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  121. प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
  122. प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
  123. प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
  124. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  125. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  127. प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  128. प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  129. प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
  131. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  132. प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
  133. प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
  134. प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  135. प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
  137. प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
  139. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
  140. प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
  141. प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
  146. प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  147. प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
  149. प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
  151. प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
  152. प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
  153. प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
  154. प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
  155. प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  157. प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
  159. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
  161. प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
  162. प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  164. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  165. 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  166. उत्तरमाला
  167. 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  168. उत्तरमाला
  169. 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  170. उत्तरमाला
  171. 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  172. उत्तरमाला
  173. 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  174. उत्तरमाला
  175. 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  176. उत्तरमाला
  177. 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  178. उत्तरमाला
  179. 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
  180. उत्तरमाला
  181. 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  182. उत्तरमाला
  183. 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  184. उत्तरमाला
  185. 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  186. उत्तरमाला
  187. 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  188. उत्तरमाला
  189. 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  190. उत्तरमाला
  191. 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  192. उत्तरमाला
  193. 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  194. उत्तरमाला

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